Febrile Seizure (हिंदी )
Febrile Seizure in Children in Hindi
बुखार में आने वाले दौरे : जरुरी जानकारी
बुखार में आने वाले दौरे क्या होते है ?
बुखार में होने वाले दौरे ( फिट ) बच्चों की एक आम समस्या है । बुखार की कोई भी वज़ह हो सकती है ।
6 माह से 6 साल की उम्र में 100 बच्चों में 5 बच्चों को बुखार में दौरा पड़ने की रिस्क रहती है ।
इसकी शायद एक वज़ह, बच्चों का दिमाग अविकसित होना है, इसलिए उस पर बुखार का आसामान्य प्रभाव पड़ता है ।
कई बार यह समस्या आनुवंशिक भी होती है। ( पीढ़ियों और परिवार के अन्य सदस्यों में भी इस बीमारी का होना )
फिट के दौरान आपका बच्चा अकड़ जाता है या ढ़ीला पड़ सकता है । कई बार वह बेहोश हो जाते हैं, आस – पास की घटनाओं का ध्यान नहीं रहता है और हाथ पैरों में झटके महसूस होते हैं ।
जिन बच्चों को पहला दौरा कम उम्र में पड़ जाता है या परिवार के किसी सदस्य में ऐसी ही शिकायत है, उन्हें बार – बार दौरे पड़ सकते हैं ।
बच्चे को दौरा पड़ने पर क्या करें ?
- घबरायें नहीं। शांत रहें। बच्चे के साथ रहें।
हो सके तो दौरे के शुरू होने और ख़त्म होने का समय नोट करें।
बच्चे को एक तरफ़ करवट करके लिटाएं। बच्चे के कपड़े ढ़ीले कर दें।
बच्चे के सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखे, जिससे सिर फर्श से ना टकराए।
बच्चे को पकड़ने या दौरे को रोकने की कोशिश नहीं करें।
बच्चे के मुँह में कुछ नहीं डालें।बच्चे के मुँह और नाक से आने वाला पानी और झाग साफ़ करें।
बच्चे को सुरक्षित जगह पर लिटाएं। आग, फर्नीचर के तीखे कोनों, धारदार चीज़ों से दुर रखें। अगर बच्चा चश्मा लगाता है तो उतार दें।
अधिकतर दौरे 5 मिनट से कम समय में ही अपने आप रुक जाते हैं। कई बार असामान्य स्थिति में यह समय लम्बा भी हो जाता है। अगर दौरा 5 मिनट से ऊपर हो तो दौरा कंट्रोल करने के लिये मिडाज़ोलम नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल करें।
हर स्थिति में अपने डॉक्टर के पास तुरंत ले जाएँ। डॉक्टर देखने के बाद ही बता सकते हैं कि बच्चे को कोई गंभीर समस्या तो नहीं है और बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत है या नहीं।
कई बार दौरा रुकने के तुरंत बाद बच्चा सुस्त हो जाता है और सोना चाहता है। जब तक आपका बच्चा सामान्य नहीं लगने लगे, तब तक उसे पानी, खाना, या मुंह से दी जाने वाली दवाईयाँ नहीं दें।
नाक से मिडाज़ोलम स्प्रे देने का तरीका
मिडाज़ोलम स्प्रे के नोज़ल को हल्के से किसी एक नासिका छिद्र के अंदर डालें।
बोतल की नोज़ल को नीचे की तरफ दबाएं, इससे दवा छिद्र के अंदर जाती है।
अपने चिकित्सक की सलाह के अनुसार निर्दिस्ट संख्या में स्प्रे करें ।
शिशु को अस्पताल में कब भर्ती करवायें ?
- दौरे के बाद बच्चा सामान्य अवस्था में नहीं आये।
- दौरा असामान्य ( 15 मिनट से ज्यादा, शरीर के एक हिस्से में या 24 घंटे में 1 से अधिक बार ) हो।
- माँ – बाप बच्चे को अस्पताल में रखना चाह रहे हो।
क्या इस बीमारी में जाँच करवाना जरुरी है ?
बुखार में आने वाले दौरों में सामान्यतया जाँच नहीं की जाती है।
- आवश्यकता अनुसार बुखार का कारण जानने के लिए खून व पेशाब की जाँचे की जाती है।
- अगर बच्चा 18 माह से छोटा है और दिमागी संक्रमण की सम्भावना है तो डॉक्टर CSF की जाँच की सलाह देते हैं क्योंकि छोटे बच्चे की शारीरिक जाँच से दिमागी संक्रमण का पता चलना मुश्किल होता है।
- कभी कभी जरूरत के हिसाब से सी. टी. स्कैन / एम. आर. आई. / ई. ई. जी. करने की सलाह भी दी जाती है।
क्या बच्चे को बुखार आने पर दौरा दुबारा आ सकता है ?
हाँ , यह संभव है। बुखार में दुबारा दौरा पड़ने की सम्भावना कई बातों पर निर्भर करती है।
बच्चे की उम्र 6 वर्ष होने के बाद दौरा आने की सम्भावना लगभग न के बराबर हो जाती है।
क्या बच्चे को भविष्य में मिरगी की बीमारी हो सकती है ?
बुखार के सामान्य दौरे के बाद 100 में से केवल 1 – 2 बच्चों को ही मिरगी की शिकायत हो सकती है। कई स्थितियों में यह सम्भावना सामान्य से ज्यादा ( 4 – 33 %) हो सकती है –
- अगर बुखार के दौरे बार – बार पड़ रहे हों।
- परिवार में मिरगी की शिकायत हो।
- बच्चे में पहले से कोई दिमागी बीमारी हो।
- दौरे असामान्य हों
बुखार में आने वाले दौरे की रोकथाम के लिए क्या करें ?
बुखार के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा की सही मात्र दें। बुखार नापें व लिखे । यह दवा बच्चे को बुखार से होने वाली तकलीफ कम करती है। याद रखें – यह दवा दौरे को नहीं रोकती है।
कुछ दवाइयाँ बुखार से होने वाले दौरों को रोकने के लिए भी दी जाती है। इन दवाइयों का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
बच्चों के टीके क्यों जरुरी है ?
बुखार से कैसे बचें, इसके लिए अपने शिशु रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
बहुत सी बीमारियों का ,जिनसे बुखार आता है, टीकों से बचाव संभव है। सभी टीको के साथ साथ हर साल इन बच्चों को इन्फ्लुएंजा ( फ्लू ) का टीका भी जरूर दिलवायें।
कुछ बच्चों को टीकों के बाद दौरे पड़ जाते हैं। ऐसा टीकों की वजह से नहीं होता। इसमें न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह जरुरी होती है।
खून की कमी का बुखार के दौरों से क्या संबंध है?
पहले 3 साल में आयरन की कमी का बच्चे के व्यवहार और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। यदि यह कमी समय पर पूरी नहीं हो तो दिमाग की शक्ति हमेशा के लिए थोड़ी कम हो जाती है।
आयरन की कमी बुखार से होने वाले दौरों की सम्भावना को बढ़ा देती है। इसलिए इन बच्चों में खून की कमी का पता लगाने के लिए जरुरी जाँच करवायें व खून की कमी का इलाज़ करवायें।